आत्मनिर्भर भारत की पहचान है विशाल, विराट, विहंगम ,विशिष्ट और विशेष- “विक्रांत”

आज वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। सिर्फ जमीन ही नहीं समंदर से लेकर अंतरिक्ष तक और रियल वर्ल्ड से लेकर वर्चुअल वर्ल्ड तक वर्चस्व की लड़ाई जारी है, वर्तमान युद्ध के तौर तरीके भी बदल चुके हैं, ऐसे में शांति के अग्रदूत भारत को वैश्विक स्तर पर स्वयं को शक्तिशाली देशों के बीच अपने सिद्धांतों की रक्षा और वैश्विक शांति की स्थापना के लिए आगे आना पड़ रहा है । भारत अब अमेरिका और रूस के साथ रक्षा सौंदों में मिलने वाले हथियारों पर ही निर्भर नहीं रह गया है। अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत बनाकर भारत ने महाशक्ति होने का दंभ भरने वाले देशों को अपनी ताकत और दक्षता का परिचय दे दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आज विश्व को 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति का अहसास कराया है। उन्होंने कहा भी है बूंद-बूंद जल से जैसे विराट समंदर बन जाता है। वैसे ही भारत का एक-.एक नागरिक वोकल फॉर लोकल के मंत्र पर जीवन जीना प्रारंभ कर देगा तो देश को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा।

आजादी के इस अमृत काल में प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत- 2022 के रूप में सच होकर सामने आया है। भारत का यह स्वदेशी प्रयास विश्व में शक्ति संतुलन की ओर महत्वपूर्ण कदम है। आजादी के समय ब्रिटेन में अपने यहां इस्तेमाल हो चुके एयरक्राफ्ट कैरियर को भारत को देकर अहसान जताया था। इसके बाद रूस हो या अमेरिका उन्होने पुरानी रक्षा प्रणाली बेचकर भारत को सेकंड हेंड हथियारों की बिक्री का बाजार बना दिया था। आजादी के 75वें साल में भारत आत्मनिर्भर बनने के साथ ही दुनियां भर में एक रक्षा निर्यातक के रूप में उभर रहा है ।

चीन और पाकिस्‍तान से टक्‍कर लेने के लिए अपने दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत की लांचिंग यह सही समय है। अब भारत हिन्द महासागर से लेकर हिन्द- प्रशांत क्षेत्र तक अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर कर सकता है। परमाणु पण्डुब्बियों से निपटने के लिए भी विक्रांत बड़ी भूमिका निभा सकता है, चीन फुजियान विमानवाहक पोत से बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों को ऑपरेट कर सकता है। फुजियान में चीन ने अत्याधुनिक रडार भी लगाए हैं, जो 500 किलोमीटर की दूरी तक के क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं। फुजियान विमानवाहक पोत पर चीन कई तरह के विमानों को तैनात करने की योजना बना रहा है। ऐसे में विक्रांत 2022 चीन के नापाक इरादों पर लगाम लगा सकता है।

भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास (DRDO) द्वारा अनुसन्धान किया गया व कोचीन शिप यार्ड द्वारा निर्मित स्वदेशी आईएनएस विक्रांत में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) द्वारा उत्पादित स्टील का उपयोग किया गया है जिसमें 23 हजार टन स्टील का प्रयोग किया गया है, इसके निर्माण में 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी के बराबर पाइप और 2000 देशी वॉल्व का प्रयोग किया गया है।

आईएनएस विक्रांत में एयर कंडीशनिंग, रेफ्रिजरेशन प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े सभी कलपुर्जे स्वदेशी हैं। भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BEL), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), किर्लोस्कर, एलएंडटी (L&T), केल्ट्रॉन, जीआरएसई, वार्टसिला इंडिया इसके निर्माण में शामिल रही हैं। इस युद्धपोत को बनाने में 50 भारतीय उत्पादक शामिल रहे हैं और हर दिन 2000 भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार मिला करीब 40,000 परोक्ष तरीके से इस प्रोजेक्ट से जुड़े, निर्माण में करीब 23 हजार करोड़ रुपये की लागत आयी जिसका 80-85 फीसदी रुपया भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रयोग हुआ है।

आईएनएस विक्रांत के जलावतरण के अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने खुद कहा है कि हिन्द महासागर में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरंदाज किया जाता रहा। लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है। हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक, हर दिशा में काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री न सिर्फ विकास कि बात करते हैं बल्कि स्वदेशी प्रतीकों के जरिये राष्ट्रीय गौरव का भी अहसास कराते हैं इसलिए उन्होने आज नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान को समर्पित किया।

समूचे देश को गौरवान्वित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट किया कि “विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा- विक्रांत आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है।” निश्चित रूप से मोदी जी का ये विजन हर देशवासी को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरणा देता है। उत्तर प्रदेश में तैयार होने वाला डिफेंस कॉरीडोर भी इसी परिकल्पना को साकार करने वाला है। खास बात यह है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार इस दिशा में उम्मीद से बढ़कर काम कर रही है।

देश के गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी देश की सेनाओं को विश्व में सबसे अग्रणी व आधुनिक बनाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज नए भारत के बुलंद हौसलों को उड़ान देता स्वदेशी सामर्थ्य व प्रतिबद्धता का प्रतीक आईएनएस विक्रांत नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश को समर्पित किया गया है।

नौसेना के अनुसार पूरे प्रोजेक्ट का 76% हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बना है। जिससे पता चलता है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में मजबूत कदम उठा लिए हैं। आने वाला दशक नए भारत का ही होने वाला है।

डॉ राजेश्वर सिंह