प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ संकल्पों के परिणामतः प्रकृति संरक्षण की सिद्धि प्राप्त करेगा भारत
22 अप्रैल 1970 को कुछ अमेरिकी छात्रों और नागरिको द्वारा प्रारंभ की गयी एक छोटी सी मुहिम जो पर्यावरण प्रदूषण, तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों, उर्जा संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण, विषैले कचरे, कीटनाशकों के प्रयोग, जंगलों की कटान और विलुप्त होते वन्यजीवों की समस्याओं की ओर प्रसाशन का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रारंभ की गयी थी। धीरे – धीरे यह मुहिम प्रकृति संरक्षण के प्रति संकल्प प्रदर्शित करने और लोगो की जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों के प्रति जागरूक करने और प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से वैश्विक स्तर पर विश्व के 193 देशों में प्रतिवर्ष अर्थ डे के रूप में मनाई जाने लगी।
भारत में आदिकाल से ही सभी जीव जंतुओं के साथ साथ वनों और वृक्षों से भी मधुर सहस्तित्व की अवधारण पोषित होती आयी है। हमारी संस्कृति का मूल है कि जब हम प्रकृति का संरक्षण करते हैं तो बदले में प्रकृति भी हमें संरक्षण और सुरक्षा देती है। स्वाधीनता के पश्चात वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण के कुप्रभावों को देखते हुए भारत ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रभावी कदम उठाये हैं। भारत सरकार ने सन 1976 में संविधान संशोधन कर दो महत्वपूर्ण अनुच्छेद 48A और 51 A (G) जोडे, अनुच्छेद 48A राज्य सरकारों को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा और उसमे सुधार सुनिश्चित करे, इसके साथ ही अनुच्छेद 51 A (G) नागरिकों को कर्त्तव्य बोध कराता है कि प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें और उसका संवर्धन करें साथ ही सभी जीवों के प्रति दयालुता का भाव भी बना रहे। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को प्रकृति से अगाध प्रेम और लगाव है उनका दृढ संकल्प है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर उन्हें पुनः उनके पुराने स्वरुप में वापस कर सकेंगे, इसी में हम सब का हित और समस्त जगत का कल्याण है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के कुछ प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश भर में 200 नगर वन (शहरी वन) विकसित करने के उद्देश से नगर वन योजना प्रारंभ हुयी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों के फलस्वरूप वन आच्छादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय बढोत्तरी हुयी है। पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए 26 जुलाई 2019 को प्रधानमंत्री ने संसद भवन परिसर से ‘हरित संसद – हरित भारत’ की मुहिम प्रारंभ की, देश में जलशक्ति मिशन प्रारंभ किया गया और जल संरक्षण के लिए जल शक्ति अभियान की भी शुरुआत हुई।
15 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य सन 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल प्रदान करना है। अप्रैल 2022 तक 48.8 % ग्रामीण परिवारों को यानी 9 करोड़ 44 लाख 37 हजार से अधिक घरों में नल के माध्यम से स्वच्छ जल पहुचाने का कार्य संपन्न भी हो गया है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश विस्तृत कूलिंग एक्शन प्लान बनाने वाले देशों में शामिल हो गया है, विश्व ओजोन दिवस (16 सितम्बर) के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र ने भारत की कूलिंग एक्शन प्लान की सराहना भी की जिसके अंतर्गत भारत ने सन 2037- 38 तक विभिन्न क्षेत्रों में कूलिंग डिमांड को 20% से 25% तक कम करने का लक्ष्य रखा है, और कूलिंग हेतु उर्जा की आवश्यकता को 25% से 40% तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास से नवम्बर 2015 में भारत और फ्रांस के प्रयास से अन्तराष्ट्रीय सौर गठबंधन अपने अस्तित्व में आया, यह संगठन कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाने के लिए संकल्पित है, ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है। 20 हजार करोड़ फंड आवंटन के साथ जून 2014 में ही गंगा नदी का प्रदुषण समाप्त करने और गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए मिशन नमामि गंगे प्रारंभ किया गया, जिसमे सरकार को आशातीत सफलता भी प्राप्त हुई है। भारत में आयोजित संयुक्त राष्ट्र वन्यजीव सम्मलेन में ‘एनीमल कल्चर’ को संरक्षण के साथ जोड़ा गया, जिसके जरिये आपसी सामजिक व्यवहारों से विभिन्न जीव जो कुछ सीखते है उसका अध्ययन ‘एनीमल कल्चर’ के अंतर्गत किया जाता है। नरेन्द्र मोदी जी को सन 2018 में संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा पर्यावरण सम्मान ‘चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ’ का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत लेबनान में भारतीय सेना को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। जुलाई 2020 में भारतीय सेना को यह पुरस्कार स्वच्छता अभियान के साथ प्लास्टिक रिसाइक्लिंग और ग्रीन हाउस निर्माण में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) प्रारंभ किया गया, जिसके अंतर्गत 2019-20 और 2020-21 के बीच वायु गुणवत्ता सुधार के लिए 375.44 करोड़ रूपये आवंटित हुए। वर्ष 2021 – 22 के लिए 82 शहरों को 290 करोड़ और वर्ष 2021- 26 के लिए 700 करोड़ रूपये आवंटित किये गये है। वायु प्रदूषण में 70 % तक कमी लाने के लिए हाइड्रोजन कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (H-CNG) को देश भर में इस्तेमाल में लाने का फैसला किया गया है, देश में वाहनों के लिए बीएस-4 को उन्नत कर बीएस-6 उत्सर्जन मानक लागू किये गये।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढावा देने के लिए FASTER ADOPTION AND MANUFACTURING OF ELECTRIC AND HYBRID VEHICLE (FAME) चरण 2 लागू कर 10,000 करोड़ रूपये की सब्सिडी की घोषणा भी की गयी, इस योजना के अंतर्गत इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का तेजी से विस्तार हुआ है, भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर लिए गये ऋण की अदायगी में आयकर पर अतिरिक्त छूट देने का प्रावधान भी किया गया है, इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST दरें भी सरकार ने घटाई है, 1 अगस्त 2019 से इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशनों पर 5% GST दर लागू की गयी।
सरकार के इन अथक प्रयासों के परिणाम स्वरुप 13 जनवरी 2022 को प्रकाशित हुयी भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की ‘इंडिया स्टेट ऑफ़ फारेस्ट रिपोर्ट 2021’ के अनुसार देश में वनों का कुल फैलाव 8,09,537 वर्ग किलोमीटर में हो गया है जो भारत के कुल भू – भाग का 24.62 प्रतिशत है। सरकार का लक्ष्य देश के कम से कम 33% हिस्से को वनों से आच्छादित करना है, इसके साथ साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सन 2070 तक देश में कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक पहुचाने का लक्ष्य रखा है, जो भारत के विकास के साथ स्वच्छ और कार्बन उत्सर्जन मुक्त वातावरण बनाने में अहम् है। सरकार तेजी से इस दिशा में क्रियाशील भी है, दृढ इच्छाशक्ति और संकल्प से सिद्धि के लक्ष्य के साथ पर्यवारण संरक्षण का लक्ष्य भारत आवश्य प्राप्त कर सम्पूर्ण विश्व के लिए आदर्श स्थापित करेगा।
– डॉ राजेश्वर सिंह
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