भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि. 8 अप्रैल 1894
भारत की आजादी एक बहुत लंबे स्वाधीनता आंदोलन की देन है। इसमें तत्कालीन राजनेताओं व राजा-महाराजाओं का ही नहीं, बल्कि साहित्यकारों, कवियों, वकीलों और विद्यार्थियों का भी विशेष योगदान था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहे साहित्य मनीषियों ने ‘वंदे मातरम्’ जैसी अपनी महान और अमर रचनाओं से न केवल आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी बल्कि भारतीय भाषाओं के साहित्य को मजबूती देते हुए नए आयाम प्रदान किए। ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी के द्वारा 1874 में लिखा गया एक अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ न केवल भारतीय स्वाधीनता संग्राम का मुख्य उद्घोष बना बल्कि आज देश का राष्ट्रगीत भी है।
अमर गीत वंदे मातरम को लिखकर महान साहित्य रचनाकार और स्वतंत्रता सेनानी बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय उर्फ बंकिम चंद्र चटर्जी सदैव के लिए अमर हो गए। ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ एक गीत या नारा ही नहीं, बल्कि आजादी की एक संपूर्ण संघर्ष गाथा है, जो 1874 से आजतक करोड़ों युवा दिलों में धड़क रही है। करीब 56 वर्ष की आयु में 08 अप्रैल, 1894 को 19वीं सदी के इस क्रांतिकारी लेखक ने दुनिया को सदैव के लिए अलविदा कह दिया था।
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