11 मार्च 1973 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ ज़िले में श्री रण बहादुर सिंह और श्रीमती तारा सिंह के घर जन्म. बल्यावास्था में ही श्री राजेश्वर सिंह को कर्तव्यनिष्ठा अनुशासन और ईमानदारी का पाठ विरासत में मिला. पिता के प्रभावशाली व्यक्तित्व और जीवनशैली से प्रभावित रहे. पिता ही उनके मार्गदर्शक बने और उन्हें व्यक्तित्व निर्माण, देशप्रेम, मानवता और पद की गरिमा के प्रति प्रेरित करते रहे।
हाई स्कूल में अलीगढ़ के नामचीन स्कूल ‘लेडी फ़ातिमा’ के एक उत्कृष्ट छात्र रहे और साल दर साल अपनी प्रतिभा में निखार लाते रहे।
लखनऊ के प्रसिद्ध कॉल्विन तालुकदार कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढाई पूरी की. छात्र जीवन में अत्यंत होनहार और खेल के प्रति रूचि, कला के प्रति भी उतने ही आकर्षित रहे।
आई. आई. टी. धनबाद, से माइनिंग इंजीनियरिंग में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। अपनी कलात्मक गतिविधियों, भाषण प्रतियोगिता और वाद – विवाद प्रतियोगिता में भागीदारी लेकर हमेशा प्रशंसा के पत्र बने रहे। राजेश्वर सिंह छात्र जीवन में ही शिक्षकों और छात्रों में हमेशा लोकप्रिय रहे।
स्नातक करने के बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस (प्रांतीय पुलिस सेवा) में आपका चयन हो गया। अपने सेवाकाल के शुरुआती दिनों में ही आपने सेवा में सामाजिक चेतना लाने की आवश्यकता महसूस की और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आपने प्रसिद्ध समाज विज्ञानियों के नियमों और सिद्धांतों को पुलिस सेवा से जोड़ने का प्रयास किया।
राष्ट्रप्रति श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा पुलिस सेवा में वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार “राष्ट्रपति वीरता पदक” से सम्मानित किया गया।
केंद्र सरकार द्वारा ई डी में प्रतिनियुक्ति हुई. इस दौरान आपने 2-जी स्पेक्ट्रम, कॉमन वेल्थ, कोयला घोटाला जैसे अनेक घोटालों की जाँच से जुड़े रहे। देश के नामी-गिरामी नेताओं, कारोबारियों, उद्योगपतियों और नौकरशाहों को जेल के हवाले किया। यहाँ तक की देश के तात्कालीन गृह मंत्री रहे पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती चिदंबरम को भी जेल की सलाखों के पीछे भेजा।
मानवाधिकार – पुलिस एवं सामाजिक न्याय (जनपद इलाहाबाद पर आधारित एक समाज वैज्ञानिक अध्ययन) पर एक शोध पत्र लिखा. अपने इस थीसिस में आपने पुलिस कर्मचारियों के अधिकारों, मानवाधिकारों की रक्षा और उनके काम करने की परिस्थितियों का सजीव वर्णन करते हुए एक नए प्रकार के संवाद की शुरुआत की है. इसके पश्चात् आपको डॉ0 ऑफ़ फिलोसोफी की उपाधि प्राप्त हुयी।