सर्व समाज के प्रेरणास्त्रोत है डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर
भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार भारतरत्न डॉ भीम राव आम्बेडकर महान सामाजिक चिन्तक, अर्थशास्त्री, विधि और राजनितिक ज्ञाता थे, जिनके अथक प्रयासों से निर्मित भारत का संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और उनके द्वारा लिखे गये अर्थशास्त्र के शोध पूरी दुनिया में पढ़े जाते है। ऐसी बहुमुखी प्रतिभा को भारत में लम्बे समय तक समाज के एक वर्ग के महापुरुष के रूप में सीमित करके रखा गया, जो सर्वथा अनुचित है। जिस तरह नदी का जल बिना किसी भेदभाव हर प्राणी की प्यास संतृप्त कर निरंतर बढ़ता रहता है, उसी प्रकार किसी भी महापुरुष का जीवन सर्वकल्याण हेतु सदैव समर्पित रहता है।
बाबा साहब के व्यक्तित्व को सीमित करने का कुकृत्य उनके आर्थिक, सामजिक और राजनीतिक सुधारों हेतु किये गये प्रयासों के साथ घोर अन्याय है, डॉ आम्बेडकर का संघर्ष केवल दलितों, शोषितों के मानवाधिकार हेतु संघर्ष तक सीमित नहीं है अपितु महिला हितों की रक्षा के साथ साथ महिलाओं की बराबरी, सम्मान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि और न्याय मंत्रिपद से त्यागपत्र भी दे दिया।
मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव महू के अति सामान्य परिवार में श्री रामजी सकपाल के घर 14 अप्रैल सन 1891 को जन्मे महापुरुष ने सभी प्रकार के आभाव, उपेक्षा, अपमान और तिरस्कार को सहते हुए अपनी विलक्षण प्रतिभा के बल पर निर्धनता और सामजिक अस्पृश्यता की बेड़ियों को तोड़ देश और समाज का उच्च शिखर प्राप्त किया। दृढ इच्छाशक्ति के परिणामतः डॉ आम्बेडकर द्वारा विपरीत सामजिक और आर्थिक परिस्थितियों में भी प्रगति के स्थापित मानक भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के सर्वसमाज हेतु एक प्रेरणा है। जिस तरह चौथी कक्षा की परीक्षा पास करने पर ही डॉ आम्बेडकर पूरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने और उस दिन डॉ आम्बेडकर के समाज में सार्वजानिक समारोह मनाया गया और 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास कर अपने समुदाय के पहले व्यक्ति के रूप में आगे की पढ़ाई प्रारंभ की यह पूरे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत है।
बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर जी जैसी विरल प्रतिभा बड़े पुण्य प्रताप से जन्म लेती है। वे श्रेष्ठतम विधिवेत्ता होने के साथ ही महान अर्थशास्त्री, समाज सेवक और कुशल लेखक थे, उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी समेत 11 भाषाओं का ज्ञान था। उन्होंने बाम्बे विश्वविद्यालय से सन 1912 में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की, 22 वर्ष की आयु में अध्ययन के लिए अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय गए और 2 वर्ष के अल्प काल में अर्थशास्त्र में MA की डिग्री हासिल करने के साथ ही प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर शोध प्रस्तुत कर PHD की उपाधि भी प्राप्त की। अर्थशास्त्र विषय में डॉ आम्बेडकर की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना भी डॉ आम्बेडकर के शोध THE PROBLEM OF THE RUPEE: ITS ORIGIN AND ITS SOLUTION में लिखे विचारों और दृष्टिकोण के आधार पर हुई।
भारत में यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सभी महापुरुषों के महत्व को सर्वसमाज के रूप में स्थापित करने हेतु सराहनीय प्रयास किये गये। प्रधानमंत्री जी के प्रयासों ने बाबा साहब के व्यक्तित्व और कृतित्व को उनकी जयंती पर होने वाले समारोहों तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि कई बड़े निर्णय लेकर उनके योगदान को धरातल पर उतार कर अमिट बनाने की पहल की, दिल्ली के 26 अलीपुर रोड स्थित जिस आवास में डॉ आम्बेडकर ने परिनिर्वाण लिया उसे राष्ट्रिय स्मारक में परिवर्तित करने के साथ राजपथ मार्ग पर डॉ आम्बेडकर इन्टरनेशनल सेंटर का निर्माण भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्पों द्वारा संपन्न हो सका। लन्दन में भी जिस स्थान पर डॉ आम्बेडकर अपनी पढ़ाई के समय में रहा करते थे उस स्थान को आम्बेडकर स्मारक के रूप में स्थापित करवाया, देश के किसी भी महापुरुष के जीवन से जुड़े सभी स्थलों को पहली बार तीर्थ स्थल के रूप में पहचान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्पों के कारण मिली। केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने हेतु बनाये गये ‘भीम एप’ के माध्यम से भी डॉ भीमराव आम्बेडकर जी की वास्तविक पहचान दिलाने हेतु एक प्रयास किया गया।
– डॉ. राजेश्वर सिंह
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