सुरक्षा, सम्मान, स्वाभिमान वाला रक्षा बजट
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए कुल 5.94 लाख करोड़ का आवंटन करके साफ कर दिया है कि देश की सुरक्षा भारत की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। रक्षा के लिए 2023-24 का बजट पिछले साल की तुलना में न केवल 3 प्रतिशत ज्यादा है, बल्कि यह बेहद सधे हुए तरीके से इसका आवंटन सुनिश्चित किया गया है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी मुल्कों की चुनौतियों को समझते हुए बजट में जो प्राथमिकताएं तय की गई हैं, उससे साफ है कि भारत ने दुनिया को साफ संदेश दिया है कि वह अब अपने अप्रोच में पूरी तरह बदल चुका है। पुलवामा के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए वह पहले ही पाकिस्तान और पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दे चुका है कि भारत की ओर तिरछी निगाह से देखने वालों के प्रति भारत का नया नज़रिया क्या है? यदि कम शब्दों में कहें तो रक्षा बजट से साफ है कि सैनिकों का सम्मान, सैन्य सामर्थ के विकास के लिए पर्याप्त धन, हथियारों और रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की कोशिश, नए अनुसंधान को प्रोत्साहन और युवाओं को सेना के प्रति आकर्षित करने के लिए अग्निवीर जैसी योजना को आगे बढ़ाने जैसे उद्देश्य साफ दिखाई पड़ते हैं।
मौजूदा बजट में खर्चों की प्राथमिकता बेहद होशियारी से तय की गई है। रक्षा क्षेत्र की प्राथमिकता में सैन्य आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास सबसे ऊपर है। इस मद में पूंजीगत खर्च को बढ़ाकर 1.62 लाख करोड़ किया गया है। अगर इसकी तुलना 2019-20 से करें तो यह कुल 57 फीसदी अधिक है।
2014 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने काम की शुरुआत करते हुए नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी मुल्कों के साथ दोस्ती की शुरुआत की एक नए पहल के साथ मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन के प्रति बेहद सकारात्मक रुख रखा। लेकिन पड़ोसी होने के नाते भारत से अत्यधिक व्यावसायिक लाभ लेने के बावजूद चीन का रवैया उचित नहीं दिखाई पड़ा तो मोदी सरकार ने कई कड़े फैसले लेकर कड़ा संदेश दिया।
बदलते वैश्विक परिवेश में भारत अपनी को बखूबी समझता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और रक्षा क्षेत्र के लिए वित्तीय प्रबंधन को इसी नजरिए के साथ रखा गया है। पूरी दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश हैं कि वह सभी देशों के साथ बराबरी का संबंध तो रखना चाहता है लेकिन वह उन्हें भारत को कमजोर समझने की भूल नहीं करने देगा। अपनी रक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ मोदी सरकार ने भारत को आयुध हथियारों और रक्षा उत्पादों के लिए दूसरे मुल्कों पर निर्भरता को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया और आज नौ साल बाद हम कह सकते हैं कि भारत ने इस दिशा में ठोस प्रगति हासिल कर ली है। रक्षा उत्पादों का आयात अब पहले के मुकाबले काफी कम हो गया है। आज भारत दुनिया के 25 से भी अधिक देशों में रक्षा उत्पादन का निर्यातक बन गया है।
रक्षा बजट में साफ दिखता है फोकस
सुरक्षा का सीधा संबंध सीमाओं से है और सीमा पर सड़कों का लगातार विकास मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। सभी जानते हैं उत्तरी क्षेत्र में हमारी सीमाएं पाकिस्तान और चीन से लगी हुई हैं और इन सीमाओं पर सबसे अधिक चुनौतियां भी नज़र आ रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए पिछले नौ सालों में चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर सड़कों का विस्तार बहुत तेजी से हुआ है। इस बार के बजट में भी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का पूंजी बजट 2022-23 के मुकाबले 43 फीसदी अधिक कर दिया गया है। यानी इस काम पर इस साल सरकार कुल 5,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी 202-22 के मुकाबले यह बजट लगभग दो गुना है।
इससे सीमा पर हमारी चौकसी बढ़ेगी और दुश्मनों की ओर से मिलने वाली चुनौतियों के समय तेजी से कार्रवाई संभव हो पाएगी। सेला सुरंग, नेचिपु सुरंग और सेला-छबरेला सुरंग जैसी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों का निर्माण इस बजट की प्राथमिकता है।
भारत का आत्मनिर्भरता मिशन
रक्षा में अनुसंधान और विकास को मजबूत करने के लिए इस साल यानी 2023-24 के बजट में कुल 23,264 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले साल के मुकाबले 9 फीसदी अधिक है। प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने और देश में रक्षा औद्योगिक इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए, आईडेक्स और डीटीआईएस को क्रमश: 6 करोड़ रुपये और 45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2022-23 की तुलना में आईडेक्स के लिए 93 फीसदी और डीटीआईएस के लिए 95 फीसद की बढ़ोतरी है। यह देश भर में मेधावी युवाओं के विचारों का लाभ उठाने के रक्षा मंत्रालय के विजन को पूरा करेगा।
पूर्व सैनिकों के प्रति सम्मान भाव मोदी सरकार ने न केवल सैन्य बजट का ख्याल रखा बल्कि राष्ट्र को अपनी बहुमूल्य सेवाएं दे चुके पूर्व सैनिकों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी और सम्मान भाव दिखाया है। 2023-24 में रक्षा पेंशन बजट में 5.5 फीसदी बढ़ोतरी यही साबित करता है। 2023-24 में इस मद में 1,38,205 करोड़ रुपये का प्रावधान है। पिछले बजट में यह राशि 1,19,696 करोड़ रुपये थी। इसमें 28,138 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है ताकि वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत सशस्त्र सेना पेंशनरों पारिवारिक पेंशनरों में संशोधन के कारण पैदा हुई जरूरत को पूरा किया जा सके।
– राजेश्वर सिंह
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