“प्रकृति भी हमारी जिम्मेदारी है, और विकास भी” विश्व पर्यावरण दिवस पर मेरे विचार – डॉ. राजेश्वर सिंह
हम जब विकास की बात करते हैं, तो अक्सर मान बैठते हैं कि इसके लिए पर्यावरणीय चिंताओं को पीछे छोड़ना पड़ेगा। लेकिन मेरा मानना है कि सच्चा और स्थायी विकास वही है, जिसमें प्रकृति को साथ लेकर चलने का साहस और संवेदनशीलता हो। सरोजनीनगर में हमने कोशिश की है कि हर योजना में, हर कार्य में, हर रोशनी में पर्यावरण की भावना भी जुड़ी हो। यही सोच हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, और यही सोच मैं आपसे साझा करना चाहता हूं।
वृक्षारोपण: एक आस्था, एक विज्ञान –
पिछले वर्ष मैंने सरोजनीनगर में 200 रुद्राक्ष के पौधे लगवाए। ये केवल धार्मिक प्रतीक नहीं हैं, ये वैज्ञानिक दृष्टि से भी अनमोल हैं वातावरण को शुद्ध करते हैं, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं और औषधीय रूप से भी अनमोल हैं। इसी क्रम में इस वर्ष 1 अगस्त से 2,000 फलदार वृक्ष लगाने का संकल्प लिया गया है, जिसके अंतर्गत आम, जामुन, महुआ, कटहल, इमली जैसे वृक्ष रोपे जायेंगे क्योंकि मैं मानता हूँ, एक वृक्ष सिर्फ छांव नहीं देता, वह जीवन देता है। ये वृक्ष पशु, पक्षियों को ठंडी छांव के साथ – साथ भोजन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करेंगे।
मातृ शक्ति और प्लास्टिक मुक्त अभियान –
तारा शक्ति केंद्रों की हमारी सरोजनीनगर परिवार की माताओं – बहनों ने 35,000 से अधिक इको-फ्रेंडली बैग्स तैयार किए, जिनमें से करीब 28,000 बैग्स सरोजनीनगर के सभी 193 स्कूली छात्र – छात्राओं के बीच वितरित किये गये। ये बैग्स केवल प्लास्टिक के विकल्प नहीं हैं ये सशक्तिकरण और सतत विकास की मिसाल हैं। मुझे गर्व है कि मातृशक्ति अब पर्यावरण संरक्षण की अग्रदूत बन रही है और बच्चों को प्लास्टिक बैग्स मुक्ति का संकल्प दिला रही है।
“Environment Warriors” — तराई में पर्यावरण का जनआंदोलन –
तराई क्षेत्र में हमने “Environment Warriors” अभियान शुरू किया ताकि जंगलों से लेकर गांव तक प्रकृति रक्षक तैयार हों। इस अभियान के 5 चरणों में हमने अब तक:150 वाचर्स को साइकिलें, 25 उत्कृष्ट वन रक्षकों को विशेष सम्मान, 1000 पौधों का वृक्षारोपण, 2 सोलर होल्स, डिजिटल लाइब्रेरी, रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र और तारा शक्ति केन्द्रों की स्थापना जैसे प्रयासों से तराई क्षेत्र के लोगों को सशक्त, स्वावलंबी और जागरूक बनाने का प्रयास किया गया।
मैं मानता हूं कि यदि बच्चे बचपन से प्रकृति को समझेंगे, तभी वह पर्यावरण के सच्चे प्रहरी बनेंगे। इसलिए Environment Warriors अभियान के अंतर्गत हमने 30 से अधिक स्कूलों के 1000 से अधिक बच्चों के बीच क्विज, वाद-विवाद, चित्रकला जैसी प्रतियोगिताएं कराईं, ताकि पाठ्यपुस्तक से परे, बच्चे प्रकृति को जिएं। इन प्रतियोगिताओं में 250 से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया और आकर्षक पुरस्कार जीते। पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में हमने वन रक्षकों के लिए वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी वर्कशॉप आयोजित की, क्योंकि मैं चाहता हूँ कि हमारे रक्षक अब प्रकृति के दस्तावेज़कार भी बनें और अपने चित्रों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का गूढ़ सन्देश आगे बढायें।
सौर ऊर्जा: आत्मनिर्भरता की ओर सरोजनीनगर –
सरकार द्वारा संचालित सोलर सिटी अभियान के अंतर्गत युपीनेड़ा के सहयोग से हमने सरोजनीनगर को Solar City की दिशा में अग्रसर किया है: जहाँ उल्लेखनीय उपलब्धियां जैसे 50 MW सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता, 1200 से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइट्स, 150 से अधिक हाई मास्ट्स और सोलर ट्रीज़, ₹1 करोड़ की लागत से माती गांव को लखनऊ का पहला सोलर गांव बनाया जा रहा है, एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से यूपी का पहला Agri-Photovoltaics Plant भी यहीं लगेगा।
स्वच्छता, जल और हरियाली का त्रिवेणी संगम –
कई परियोजनाएं केवल पर्यावरण की रक्षा नहीं करतीं, बल्कि जनस्वास्थ्य, स्वच्छता और जल संरक्षण को भी नई मजबूती देती हैं। सरोजनी नगर में ₹8 करोड़ से जोनल पार्क में सोलर पावर और STP की स्थापना, ₹2.58 करोड़ से Wetland-based 700 KLD STP, ₹351 करोड़ से बिजनौर में STP परियोजना, ₹63 करोड़ से वृंदावन सेक्टर-10 में 37.75 MLD STP, ₹5 करोड़ से गोमती नगर में नया STP, श्रवण झील का विकास, प्रेम तालाब, विरूरा तालाब, राधा तालाब सौंदर्यीकरण के साथ संवेदनशील जल प्रबंधन जैसे कार्य संपन्न कराये जा रहे हैं।
पर्यावरण संकट की सच्चाई –
आज हम जिस पृथ्वी पर खड़े हैं, वह कई खतरों से घिरी है: हर साल 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में जा रहा, 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा, भारत के पास 4% जल संसाधन, लेकिन जनसंख्या18% है,देश में प्रदूषण से 24 लाख समयपूर्व मौतें होती हैं। हम हर हफ्ते 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगलते हैं, प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा 5 साल घट चुकी है
“हर पौधा, हर किरण, हर बूँद, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की बुनियाद है।”
विश्व पर्यावरण दिवस पर मैं आप सबसे यही कहूँगा, हमारी राजनीति यदि संवेदनशील हो, तो विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। आइए, साथ मिलकर इस सोच को नीतियों, परियोजनाओं और संस्कारों में बदलें।
जय हिंद!!
0 thoughts on ““प्रकृति भी हमारी जिम्मेदारी है, और विकास भी” विश्व पर्यावरण दिवस पर मेरे विचार – डॉ. राजेश्वर सिंह”